Tuesday, 16 September 2008

ज़िंदगी मिलेगी न दोबारा...फिर भी ऐसे ही जीना चाहते हो ?

अभी कही फिल्म 'रॉक ऑन ' का वो गाना सुन रहा था जिसके बोल है - ज़िंदगी मिलेगी न दोबारा.....

वैसे कहने को तो ये सिर्फ एक गाने के बोल है लेकिन दिल मे तीर की तरह चुभ गये। वाकई अगर जिंदगी एक ही बार मिलनी है तो क्या आप उसे ऐसे ही जीना चाहेगे जैसे कि जी रहे है। शायद ज्यादातर लोगो का जवाब होगा नहीं क्योकि जैसे ही हमे पता चलता है कि कोई चीज़ हमे दोबारा नही मिलने वाली तो अचानक उसकी कीमत बढ जाती है फिर आप उसे संभाल कर रखना चाहते है ऐसे ही गंवाना नही चाहते और फिर ये तो जिंदगी का मामला है तो फिर कोई रिस्क क्यो ?

वैसे ये रिस्क नाम की जो चीज है वो भी तभी लेने का मन करता है जब ये पता हो कि मौका आखिरी है नही तो हम हर चीज को आखिरी वक्त तक बस ट्राइ ही करते रहते है कि शायद ठीक हो ही जाये लेकिन जैसे ही कही से ये फरमान आता है कि बस अब आपका वक्त खत्म हुआ समझो तो वही से शुरू हो जाता है हमारा वक्त ,उसे सहेजने का या यूं कहे कि फैसला लेने का।

अक्सर इसीलिए किसी भी चीज की लास्ट डेट पर ही लोगो को वो काम याद आता है फिर चाहे बिजली का बिल भरने की बात हो- या स्कूल की फीस देनी हो - जैसे ही पता चला कि वक्त अब खत्म हो रहा है वही चीज जो अभी तक फालतू की लगती थी- उसके भाव बढ जाते है।



सही वक्त पर सही फैसला लेना होता है ज़रूरी

कई बड़ी कंपनियो मे बड़े-बड़े आधिकारियो की नौकरिया इसी बात पर चली जाती है कि वो सही वक्त पर कोई फैसला ले ही नही पाये- अजी सही गलत तो छोडिये फैसला न कर पाना तो गलत फैसला लेने से भी बड़ा अवगुण है- क्योकि फैसला न लेकर आप वक्त को अपनी मुठ्ठी मे कैद करने की कोशिश करते है लेकिन ऐसा करना तो प्रकृति के विपरीत है- बस आप प्रकृति के उलट गये और प्रकृति ने दिखा दिया अपना कमाल--आप हो जाते है तुरंत आउट-- क्योकि वक्त और प्रकृति चलने का नाम ,है बदलने का नाम है, ऱूक कर वक्त को रोकने की कोशिश करने का नही- और फैसला न लेकर आप प्रकृति की प्रकृति के उलट काम कररहे होते है- इसलिये जवाब भी करारा मिलता है।

ये सोच बदल सकती है आपकी ज़िन्दगी

अगर आपको ये बात पक्की तरह समझा दी जाये कि आपको ये जिंदगी दोबारा नही मिलेगी तो आपके आस पास क्या क्या बदल जायेगा- हो सकता है आप अपने कुछ ऐसे अरमान पूरे करना चाहे जो आपने पहले कभी किसी के साथ डिस्कस तक न किये हो- या फिर आप जो अपनी रोजाना की जिंदगी में दिनभर छल कपट करते है उससे आपका मन हट जाये-- आप लोगो का दिल दुखाना छोड़ दे- और हो ये भी सकता है कि आप पहले से ज्यादा मतलबी हो जाये इस तर्क के साथ कि भई मेरी जिंदगी तो मुझे दोबारा मिलने से रही इसलिए भलाई इसी मे है कि अपनी मन मर्जी की काटी जाये।

सोच बदलते ही बदल जायेगी आपकी ज़िन्दगी 

बात चाहे जो हो लेकिन इतना तय है कि जिंदगी दोबारा न मिलने की बात जैसे ही आप सोचेगे आप के नजरिये मे बदलाव आना तय मानिये और ये बदलाव होगा आपके फायदे के लिए ही। आप या तो मनमर्जी के काम करके खुद को संतुष्ट करने की कोशिश करेगे या फिर भलाई के कामो मे मन लगाकर ऊपर वाले को प्रभावित करने मे लगे रहेगे- कि देखो मैं कितना भला हूँ और अब तुम्हारे पास आ रहा हूँ तो मेरा भी ऐसे ही ख्याल रखना जैसे मैं दीन दुखियो की भलाई करके उनका रख रहा हूँ। दोनो ही सूरतो मे आपका ही फायदा है मन की दबी हुई इच्छाये पूरी हो या फिर भलाई का पुण्य मिले- संतुष्टि तो मिलेगी ही--कुछ ऐसी ही बाते सुनकर मैं जावेद अख्तर को शुक्रिया कहने की कोशिश कर रहा हूँ जिन्होने इतने खूबसूरत शब्दो मे लोगो को जिंदगी जीने का नया तरीका सिखाया है- तो इंतजार किस बात है- आप भी जी लीजिये अपनी जिंदगी अपनी शर्तो के साथ- याद रहे ये जिंदगी मिलेगी ना दोबारा।

No comments: