Thursday, 25 October 2012

और फिर एक डोर खिंच गई...

चार दिन पहले यश चोपड़ा जी के निधन के बाद मैने मौत का reminder नाम से पोस्ट लिखी थी और अब जसपाल भट्टी की हादसे मे मौत के साथ आज सुबह की शुरूआत हुई। ईश्वर को भी लगता है किसी नेता से इतना प्यार नहीं जितना कलाकारो से है। जसपाल भट्टी के निधन के साथ फिर से उस supreme power ने हमे एहसास दिलाने की कोशिश की है कि जिन्दगी कभी भी हमसे छिन सकती है- इसलिये जी भर कर जियो और छोटी छोटी बातो पर अपना दिल छोटा ना करो।

दूसरे को नीचा दिखा कर जो खुशी मिलती है वो कितनी झूठी होती है- दूसरो को दुख देकर जो सुख मिलता है वो कितना खोखला होता है ये वो सारी बाते है जिनके बारे मे अलग अलग धर्मो के गुरू हमे सीख देते आये है लेकिन सब बेकार जाता है।  हमे असली समझ तभी आती है जब कोई हमारा करीबी य़ा जिसे हम जानते पसंद करते हों उसकी जान जाये। हम झूठी मान प्रतिष्ठा के पीछे भागते रहते है और एक दिन ऊपर वाला आपकी डोर खींच देता है फिर क्या.... सब धरा रह जाता है यहीं.... फिर याद आता है गीता का ज्ञान- पहले तो भागते रहते है सब कुछ भूल कर लेकिन अगर पहले ही ख्याल रखे तो शायद किसी को अफसोस ही ना हो।

हर पल आखिरी हो सकता है हर मुलाकात आखिरी हो सकती है इसलिये हर काम यादगार रह जाये ऐसा करो क्योकि ना जाने फिर कल हो ना हो..

2 comments:

Sunil Kumar said...

vinarm shraddhanjali......

Unknown said...

Jo tann laage so tann Jane koi n Jane peer parayi...