Monday 22 October 2012

मौत का reminder

यश चोपड़ा की मौत से पूरे बॉलीवुड मे मायूसी छाई है।  मुंबई मे आज धूप नही निकली लेकिन उदासी और मायूसी के माहौल में यंहा एक बात समझनी जरूरी है कि किसी की भी मौत की खबर असल मे ऊपर वाले (supreme power) की तरफ से भेजे गये reminder की तरह होती है कि जिस तरह इस व्यक्ति की मौत हो गई उसी तरह कल आपके, मेरे और सबके साथ ऐसा हो सकता है।

सबसे ज्यादा अफसोस ये सोचकर होता है कि हम रोजाना ये सोचकर जीते है मानो कभी मरेगे ही नही- छोटे छोटे झगड़ो मे उलझे रहते है- दूसरो को नीचा दिखा कर खुद को अव्वल बताना- किसी के खुश होने पर उससे ईर्ष्या करना- और कभी न पटने वाले अपने इच्छाओ के कुएं को भरने मे लगे रहते है बिना एक भी पल जिये। तभी किसी करीबी की मौत का समाचार  कुछ पलो के लिये हमे मौत का  reminder देता है हम थोडी देर के लिये सोचते है दुखी होते है और अगले दिन से फिर वही घास काटने मे लग जाते है। 

अगर रोजाना हम सुबह उठकर ये सोच कर जिये कि ये दिन मेरा आखिरी दिन भी हो सकता है तो ना सिर्फ हम  उस दिन को पूरी तरह से जी पायेगे बल्कि मौत का डर जो बेवजह हमे सताता है नही सतायेगा। कुछ लोग मेरे विचारो को नकारात्मक सोच भी कह सकते है पर मेरे पास इस बात का पूरा तर्क है कि जो निश्चित है उससे डर कर भागना या ये मानना कि ऐसा नही होगा सबसे बड़ी मूर्खता है। जीवन मे इस बात का हर पल ख्याल रखना कि ये हमारा आखिरी पल हो सकता है- ये सोच न सिर्फ हमे बुरे कर्मो से दूर रखेगी बल्कि सद कर्मो के लिये प्रेरित भी करेगी।

अगर यही सोच मानकर हमारे राजनेता चलेगे तो घोटाले किस के लिये करेगे - क्योकि एक दिन तो सबको जाना है अगर आप अपने बच्चो के लिये खजाना भर रहे है तो ये भी सोचिये कि वो भी एक दिन मरने वाले है। जब इस दुनिया मे कुछ भी स्थाई नही है तो इतनी हाय माया क्यो..

मै क्यो कुछ दिन की खुशी के लिये अपने मन पर वो बोझ लूं जो मुझे चैन से मरने भी ना दे। जब मेरी मौत परम सत्य है जब अपने सभी करीबी लोगो और पसंदीदा चीजो से एक दिन बिछुड़ना ही है तो मै वो मोह क्यो पालूं और सबसे बड़ी बात मैं खुद को धोखे मे क्यो रखू..? कम से कम मै खुद से तो सच बोल ही सकता हूं..मुझे विश्वास है कि दुनिया का हर बुरा काम करते वक्त उस काम को करने वाले व्यक्ति को अपनी मौत और जिंदंगी के अस्थाई होने का ज्ञान नही होता- (यंहा मै फिदायीन आतंकियो की बात नही कर रहा हू उन्हे तो उनके धर्म गुरू ही गड्ढे मे धकेल देते है कि जा बेटा धर्म के नाम पर जान दे दे- अरे धर्म के नाम पर क्यो दू जान जब धर्म के नाम अपनी जिंदगी बिता सकता हू तो क्यो जाऊं मरने- इसके लिये अलग से पोस्ट लिखूंगा)

अपने असल मुद्दे पर लौटता हूं - मै क्यो एक temporary life के लिये परम सत्य को भूला रहू मै तो रोज उसे याद रखता हू और चाहता हू कि सुबह उठकर सबको इस दुनिया मे यही ख्याल आये कि वो आज मर सकते है- यकीन मानिये जिस दिन ऐसा हुआ अपराध की फाइले नही बनेगी कोई मुकदमे या हमले नही होगे। मुझे ये पता है कि मै कुछ दिनो के लिये हू तो मै मानकर चलुगा कि मै ऐसा कोई काम ना करू जिससे मुझे या किसी और को कोई तकलीफ हो- मेरी मानिये अपने मोबाइल पर मौत के reminder लगा लीजिये- आपको कभी किसी और की या फिर अपनी मौत से डर भी नही लगेगा और आप गलत काम करने से भी बचे रहेगे- बाकी आपकी मर्जी। 


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