पटरी पर बैठे नारा लगाते लोग और चारो तरफ हाहा कार बुधवार सुबह मुंबई के बोरिवली रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसा ही नजारा था वजह थी मुंबई की लाइफ लाइन मानी जाने वाली लोकल ट्रेन्स के अराइवल प्लेटफार्म का बार बार ऐन वक्त पर बदला जाना। मुंबई मे रोजाना करीब 60 लाख लोग अपने दफ्तर जाने के लिए लोकल ट्रेन मे सफर करते है सुबह के वक्त प्लेटफार्म पर तिल रखने भर की भी जगह नही होती और ऐसे मे जब बार बार ट्रेन के आने का प्लेटफार्म बदला जाये तो भगदड़ मचना तो तय है लोग भी कब तक इधर से उधर भागते..सुबह से चल रहा ये नाटक करीब 9 बजकर 10 मिनट पर अपने चरम पर पहुचा तो लोगो के सब्र का बाँध टूट पड़ा और कुछ लोगो ने कानून को हाथ मे लेकर पटरी पर धरना देने को ही समस्या का हल मान लिया..बस फिर क्या था धीरे धीरे पटरी पर ट्रेन की जगह आम लोग बिछे दिखाई देने लगे और मुंबई की इस लाइफ लाइन पर कुछ हजार लोगो ने अपना कब्जा जमा लिया जिसका सीधा असर पड़ा मुंबई के बाकी रेलवे स्टेशन पर लोकल ट्रेनो का इंतजार कर रहे करीब 12 लाख लोगो पर जिन्हे उनके दफ्तर पहुचाने का जिम्मा बोरिवली से चलने वाली इन्ही ट्रेनो पर था..लोग माँग करते रहे कि विरार के यात्रियो को सुविधा देने के नाम पर रेलवे प्रशासन उनसे ज्यादती कर रहा है और रेलवे विभाग इस हालत के लिए ट्रेन के सिगनल सिस्टम को जिम्मदार बताकर अपना पल्ला झाड़ता रहा।
इधर से उधर भाग दौड़ करते लोगो का गुस्सा चढती धूप के साथ साथ बढने लगा और हालात बद से बदतर होते देख कर पुलिस पर स्थिति को काबू मे लाने की जिम्मा दिया गया नतीजा धक्का मुक्की और लाठी चार्ज के तौर पर सामने आया..ये पूरा ड्रामा दोपहर के करीब पौने दो बजे तक चलता रहा इस दौरान मुंबई के वैस्टर्न सबर्बन एरिया मे ट्रेनो की आवाजाही लगभग ठप्प सी रही और लाखो लोग अपने दफ्तरो की जगह प्लेटफार्म पर ही अटके रहे..
दोपहर बाद दो बजे करीब काफी हद तक स्थिति को काबू मे लाया गया और प्लेटफार्म नंबर 1 से विरार के लिए पहली ट्रेन को रवाना कर दिया गया लेकिन तब भी हालात पूरी तरह सामान्य नही हो पाये..इस प्रदर्शन का असर मुंबई से बाहर जाने वाली गाडियो पर भी साफ दिखाई दिया जो बोरिवली स्टेशन से होकर गुजरती है..
बहरहाल इतनी हाहाकार के बावजूद अभी तक रेलवे प्रशासन ने ऐसी कोई घोषणा नही की है जिससे इस बात का कोई संकेत मिले कि बुधवार जैसी स्थिति दोबारा पेश नही आयेगी लेकिन फिर भी हमेशा चलते रहने का जज़्बा रखने वाला मुंबई शहर चल रहा है इसी उम्मीद के साथ कि अब फिर कभी उसकी रफ्तार से ऐसी कोई रूकावट नही आयेगी।
वैसे मैं तो हालात का जायजा लेने बतौर पत्रकार बोरिवली स्टेशन पर था मुझे नही मालुम मेरा क्या कसूर था लेकिन बदकिस्मती से वंहा मौजूद लोगो को मेरा चेहरा शायद किसी नेता से मिलता जुलता लगा और बेचारो ने कोई न मिला तो मुझ पर ही अपना गुस्सा उतार दिया॥बेचारा जी हाँ ऐसे लोगो के लिए मेरे पास यही शब्द है।
1 comment:
लिखते रहें गम गलत हो जाता है..
Post a Comment