हम भारतीय भी कमाल है मानो ठान लिया है कि खुश तो हमे होना ही नही तो क्या कि इस वक्त की सबसे लोकप्रिय चर्चित और सबसे ज्यादा सराही जाने वाली फिल्म स्लम डाग मिलियेनर मे कई भारतीय कलाकारो ने काम किया है तो क्या उन्हे पूरी दुनिया मे फिर से एक नयी वजह से पहचान मिल रही है उससे भी क्या, लेकिन हमारे लिये तो ग्लास अभी भी आधा खाली ही है हम तो रोना रोने के लिए ही इस दुनिया मे आये है हमे तो शिकायत करना ही आता है हमारे देश की गरीबी क्यो दिखा दी हमे आइना क्यो दिखाया हमारे उस सच को पर्दे पर क्यो दिखाया जिससे हम रोज रूबरू होते है हम तो उस फिल्म को गाली ही देगे हम तो बुरा ही मानेगे हमे तो खुश होना ही नही है क्योकि हमे तो सिर्फ दूसरे पर आरोप लगाने ही आते है संसद से लेकर अखबारो तक और गली के नुक्कड़ से लेकर टीवी स्टूडियो तक जब तक हम किसी को किसी भी बात पर जमकर गरिया नही लेते हमारा तो खाना ही नही पचता इसलिए हम तो सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक पक्ष की खोज में ही रहते है जिसे अच्छा सोचना हो सोचे हमारी तो फितरत ही कुछ और है।
क्योकि हम भारतीय है हमारे लिए गरीबी वो सच है जो सच तो है पर उसे हम ढाल के तौर पर ही इस्तेमाल करना जानते है वही तो हमारा सबसे बड़ा हथियार है जहा चाहा उसका फायदा उठा लिया तभी तो आजादी के ६० साल बाद भी हमने इसे दूर नही होने दिया और दूर होने दिया होता तो क्या फिर स्लमडाग जैसी फिल्म बन पाती मतलब क्रेडिट लेने के लिए तो हम है ही गाली भी हम ही देगे करेगे कुछ नही क्योकि हमे करना तो वैसे भी कुछ है नही हाँ जो करना है वो तो कर ही रहे है अब तो आप समझ ही गये होगे कि असल में हम कहना क्या चाहते है..
वैसे तो फुर्सत मुश्किल से मिलती है पर इन दिनो तो फुर्सत की कोई कमी नहीं इसलिये सारी कसर निकाली जा रही है...
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2 comments:
सत्यवचन।
कुछा कुछ तो समझ ही गये हैं.
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