Thursday, 2 February 2012

सच है

रामकृष्ण परमहंस ने कहा है कि भगवान दो बार हंसते है पहली बार जब डाक्टर ये कहता है - मुझे लगता है मै इस मरीज को बचा लुंगा- और दूसरी बार तब जब दो भाइयो के झगड़े मे एक भाई जमीन पर दीवार खड़ी करके कहता है ये हिस्सा आज से हमेशा के लिये मेरा हुआ- असल मे ये दोनो बाते कहने वाले की अज्ञानता की तरफ इशारा करती है- क्योकि इस अस्थाई दुनिया मे न तो कभी कोई हमेशा के लिये किसी भी वस्तु का मालिक बनता है और ना ही किसी इंसान मे किसी दूसरे इंसान को बचाने की ताकत होती है-
हम सब अपने अपने हिस्से का श्रम भर करते है इसीलिये गीता मे कहा गया है परिश्रम करो फल की चिन्ता मत करो क्योकि फल की चिन्ता श्रम मे बाधक बन जाती है - फल किसी भी इंसान के हाथ मे नही है इसलिये उसकी चिन्ता व्यर्थ है इंसान के हाथ मे कर्म करना है तो सिर्फ वो कर्म ही करे-जितनी जल्दी हमे इस बात का आभास हो जाये कि हम कितने अज्ञानी है और इसका कारण क्या है उतनी जल्दी ही हम उसे दूर कर पायेगे- तो अगली बार ऊपर लिखी दोनो बाते अगर किसी को बोलते सुनो तो उस पर यकीन करके सुखी या दुखी मत होना।

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