Friday, 10 September 2010

दबंग रिव्यू

दबंग सलमान खान के फैन्स के लिये एंटरटेनमेंट का फुल डोज है सौतेले भाईयो के बीच बचपन के झगड़े की उसी घिसी पिटी कहानी को अभिनव सिंह कश्यप ने अपने स्टाइल मे पेश किया है एवरेज एक्टिग के बावजूद फिल्म के दमदार डायलाग्स और कमाल के एक्शन सीक्वेंस की वजह से फिल्म दर्शको का मनोरंजन करने मे कामयाब रहती है। फिल्म के डायलाग्स काफी मजेदार है खास कर स्माल टाउन्स मे रहने वाले लोगो के लिये ये किसी तोहफे से कम नही है। सलमान फैन्स को ये सलमान की पिछली फिल्म वांटेड की याद दिला सकती है। सलमान की एंट्री फिल्म मे शानदार तरीके से होती है। सोनाक्षी सिन्हा को इस फिल्म मे ढूढना पड़ता है क्योकि उनके कोई खास डायलाग्स भी नही है—उन्हे शायद गानो के लिये ही साइन किया गया है। अरबाज खान की एक्टिग एवरेज है- छोटे शहरो के कल्चर को बड़ी अच्छी तरह से दिखाया गया है सलमान के पापा के रोल मे विनोद खन्ना और मम्मी के रोल मे डिंपल कपाड़िया ज्यादा असरदार नही है—फिल्म के फाइट सीन्स लोगो को बांध कर रखते है इस फिल्म मे सलमान ने जिस तरह से एक्शन किया है वैसा पहले कभी नही देखा गया—सोनू सूद गांव के विलेन के रोल मे काफी जंच रहे है लेकिन अनुपम खेर और ओम पुरी को बस सिर्फ नाम के लिये ही फिल्म मे रखा गया है।

फिल्म का आइटम सांग मुन्नी बदनाम भी लोगो को नाचने पर मजबूर कर देगा- फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है फिल्म की एडिटिग और क्रिस्प हो सकती थी जिसे ढीला छोड दिया गया है कुछ डबल मीनिंग डायलाग्स होने की वजह से इस फिल्म को यू ए सर्टिफिकेट दिया गया है। सलमान खान अपने जिस स्टाइल के लिये मशहूर है वो आपको इस फिल्म मे देखने को मिलेगा—कुल मिलाकर ये एक फुल आन मस्ती वाली टिपिकल सलमान खान टाइप मसाला फिल्म है जिसे 5 में से 3 स्टार्स दिये जा सकते है।