Sunday, 31 January 2010

बचा लो टाइगर

हम जब न होगे तो रो रो के दुनिया ढूंढेगी मेरे निशान...

हमारे नेशनल एनिमल टाइगर पर ये लाइने बिल्कुल सटीक बैठती है जो सिर्फ अब १ हजार ४ सौ ग्यारह ही बचे है अगर वक्त रहते इस नीचे जाते काउंट डाउन को कंट्रोल नही किया गया तो हालात बद से बदतर हो सकते है आज देश के सबसे नामचीन चेहरे हम सब से अपील कर रहे है कि हमसे जो हो सके हमे करना होगा कल नही आज ही क्योकि कल तो बहुत देर हो जायेगी..
ग्लोबल वार्मिग के खतरे से अभी हमने कुछ सीखना समझना शुरू किया था कि ये नया खतरा अब अचानक सामने आ गया है जरा सोचो जिन जंगली जानवरो को वक्त रहते ये टाइगर्स खा जाते है वो टाइगर ही नही रहे तो वही लोमडिया, भेडिये, लकड़बग्घे और बारहसिंहें अगर हमारे आपके गांवो मे घुसकर हमारे ही बच्चो को खाने लगे तो क्या करोगे...क्या होगा उस पर्यावरण संतुलन का जिसे बरसो से हम सबने संभाला है हमारे जंगलो से पहले पेड़ गायब हुए और अब बारी टाइगर्स की है...
समस्या गंभीर है जितनी देर मे आप ये ब्लाग पढ रहे है किसी जंगल में एक बाघ कम हो गया होगा और हमे ये कसम खानी है कि अब आज से अभी से ये फिर से कभी नही होगा..हमे अपने नेशनल एनिमल को बचाना है...और ये हम सबकी जिम्मेदारी है।

Friday, 29 January 2010

जीना सीखना होगा

दोस्तो क्या आपने आमिर खान की फिल्म थ्री ईडियेट्स देख ली है अगर नही तो जरूर देखिये इसी संडे थोड़ी सी फुर्सत निकाल कर क्योकि कुछ काम बिना फायदा देखे दिल को खुश करने के लिए भी करने चाहिये। इस फिल्म को देखने के बाद शायद ही कोई होगा जिसका जिंदगी को रोजमर्रा की तरह देखने का नजरिया  ना बदले..वाकई ये फिल्म आपको सोचने के िलये मजबूर कर
देगी कि रोजाना जो काम आप ये सोचकर करते है कि ये आपका बहुत जरूरी काम है दरअसल वो ही काम कई बार एक ऐसा फालतू काम होता है जो आपको
आपके असल मकसद से इतनी दूर ले जाता है कि आप यही भूल जाते है कि आपकी असली पहचान क्या है।

पढाई इसलिये करनी है क्योकि समाज में पढने के बाद ही अच्छी नौकरी मिलेगी, अच्छी नौकरी होगी तभी अच्छी शादी होगी फिर बच्चे होंगे फिर उन्हे भी अच्छी तालीम और सुविधाये दिलाने के लिए खूब मेहनत करके नौकरी मे तरक्की पानी होगी जिससे कि और ज्यादा पैसा आये आम तौर पर लोगो की सोच यही होती है लेकिन मेरे भाई जरा सोचो कि क्या वाकई आप अपने स्टेटस सिंबल को बनाये रखने और अपने बच्चो को पैदा करके उनको ऊची तालीम दिलाने के लिए ही पैदा हुए हो तो फिर आपमे और आपके पड़ोसी मे क्या फर्क है। बस इतना ही कि वो डाक्टरी करके यही काम करता है और आप इसी काम को अंजाम देने के लिए इंजीनियर बनकर दिन भर सिर खपाते है।

क्या वाकई यही जिंदंगी है...क्या ऐसा नही हो सकता कि कुछ काम आप ये बिना सोचे करे कि इसको करने से आपको कितना पैसा मिलेगा...मसलन मेरे लिए लिखना शौक है भले पैसा न मिले पर सुकून मिलता है उसी तरह हो सकता है आपको ये सुकून पतंग उड़ाने..मछली पकड़ने...साइकिल चलाने या फिर स्विमिंग और पेंटिग करने मे आता हो लेकिन आप उसे बेकार का या फिर खाली वक्त का काम समझ कर जिंदगी भर टालते रहते है और जब फुर्सत मिलती है तो आपके हाथ पैर या तो उस काम (शौक) को करने के लायक नही रहते या फिर आप भूल ही जाते है कि आपका वो शौक आखिर था क्या...
मतलब आप उन जरूरी काम को करते करते अपने उस मकसद उस खुशी देने वाले अपने शौक को ऐसे भुला देते है मानो वो आपका नही पड़ोसी का काम है....

पहले तो हम जीना सीखते नही फिर कहते है कि क्या जीना है ये जीना भी कोई जीना है..मेरे भाई इसीलिये आमिर खान के कैरेक्टर रैंचो की मानो जीना सीख लो नही सीखे तो पूरी जिंदगी सजा की तरह काट कर यही बोलोगे कि अब बुढापे में थकान होने लगी है थकान क्यो न हो बेकार का काम करने मे थकान ही होती है शौक का काम करने मे थकान नही होती यकीन न हो तो दो पल के लिए खुद से पूछना कि तुमको क्या पसंद है और फिर वही काम कुछ घंटे करना...मुझे यकीन है आप ८० बरस के भी क्यो न हो आपको थकान नही होगी..

इससे पहले कि जिंदगी छिन जाये हमे तुम्हे और सबको जीना सीखना होगा।

Wednesday, 27 January 2010

अरसे बाद यूं ही..

आज एक अरसे के बाद लिखने का मन हुआ तो लिखने बैठा गया...अच्छा लगा ये सोचकर कि चलो कुछ तो है जिसे मन के मुताबिक कर सकते है...मसलन लिखना, अब देखो ना एक साल तक मन नही हुआ तो नही लिखा और जब मन हुआ तो शूरू कर दिया...वक्त कब पंछी बनकर उड़ जाता है कुछ पता ही नही चलता अभी अचानक ख्याल आया कि करीब एक साल होने को आया मुंबई छोड़कर दिल्ली को अपना ठिकाना बनाये हुए...ये शहर उस शहर से काफी अलग है उतनी दौड़भाग नही है हाँ रात के वक्त मुंबई की याद कभी कभी आती है जब सूनसान सड़के दिखाई देती है क्योकि मुंबई में खाली सड़के सिर्फ शिवसेना बंद या मनसे बंद की दादागिरी के दौरान ही दिखाई देती है..इस साल सर्दी का आनंद लेने के ख्याल से अक्टूबर से ही काफी एक्साइटेड हो रहा था पर अब सर्दी से दिल भरने सा लगा है इधर कुछ दिन दिल्ली से बाहर था तो लोगो ने बताया कि काफी कोहरा पड़ रहा था लेकिन अब तो सर्दी  की जाती हुई बहार है।

ट्विटर पर अपने विचारो को लिखना अच्छा लगता है..नया ट्रैंड है इसलिए बालीवुड के सितारे भी इस पर खुल कर अपने विचार लिखते और पढते है...एक ऐसा मंच बन गया है ट्विटर जिसपर आप ये जान सकते है कि आपके चहेते सितारे और दुनिया की जानी मानी हस्तियो की सोच क्या है...वाकई पूरी दुनिया को मुठ्ठी में समेट दिया है ट्विटर जैसी सोशल नैटवर्किग या यू कहे कि ब्लाग साइट ने...लेकिन अच्छा है कही तो आप चंद शब्दो मे अपनी भड़ास निकाल सकते है। देश दुनिया की कह सकते है और इस दुनिया की ही क्यो उस दुनिया की भी कह सकते है...

उस दुनिया से याद आया अब तो आप चांद पर भी जमीन खरीद सकते है वाकई जब पहली बार मैने ये सुना तो एक बार फिर से वो बात याद आ गई कि मनुष्य की कल्पना की कोई सीमा नही है...भले चांद पर हर कोई जा न पाये लेकिन दिल बहलाने के लिये चांद का एक टुकड़ा अपने नाम तो कर ही सकता है...वैसे भी हाउसिंग स्कीम्स की ऊंची उठती कीमतो के बाद अब अगर लोग अपने दिल को तसल्ली देने के लिए ही सही अगर चांद पर जमीन खरीदने लगे तो ज्यादा ताज्जुब की बात नही होनी चाहिये वैसे भी किसी भी बड़ी खोज या अविष्कार की शुरूआत तो  एक ख्याल से ही होती है तो अब आप भी सोचिये किसी नये ख्याल के बारे मे कौन जाने आपका कौनसा ख्याल किस नये अविष्कार  की वजह बन जाये ...

अल्लाह खैर!!!!!!